बीज की किस्म का निर्धारण खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की उपस्थिति, जलवायु, पानी की उपलब्धता
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बीज के उगाने का समय आदि पर निर्भर करता है।
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भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल अकेले ने ही अधिक से अधिक उपज वाली
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मृदा की जाँच के समय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह पर ही किस्म का निर्धारण करना चाहिए।
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किसी भी प्रकार की खेती में खाद और उर्वरक का निर्धारण मिट्टी जांच के बाद ही किया जाता है
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मिट्टी में यदि जिंक की कमी हो तो बुवाई के समय या खड़ी फसल में 25 किग्रा/हैक्टेयर जिंकसल्फेट का छिड़काव किया जा सकता है
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गेहूँ की फसल को 5-6 बार सिंचाई की जरूरत होती है। सामन्यतः माना जाता है
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गेहूँ की फसल को साढें चार माह की माना जाता है, एवं जब भी फसल में अवस्था परिवर्तन होता है तब सिंचाई की जानी चाहिए
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